चौकिये नही, मैं, जो खबर बताने जा रहा हूँ। वो मामला थोड़ा अलग है। आपने सुना होगा कि पटना में कई नामी गिरामी बिल्डरों ने मध्यम वर्गीय परिवारों को सपनो का घर, जमीन और फ्लेट देने के नाम पर उनका पैसा लेकर भाग गए। उनके भागने की खबर भी मीडिया में प्रमुखता से छपी। लेकिन उत्कर्ष स्फटिक लिमिटेड के मामले में ऐसा नही है। इस मामले में इलेट्रॉनिक मीडिया ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली, न किसी अखवार ने खबर छापने की जहमत उठाई। क्योंकि इस मामले में सुशील मोदी के चहेते बिल्डर का नाम सामने आ रहा था।
कहानी यह है कि पटना के लोदीपुर रोड स्थित, 7.5 एकड़ के जमीन पर “The Residency-City Centre” नामक सुपर मार्केट बन रहा है। जिसपर Real Estate Regulatory Authority, Bihar RERA ने प्रोपर्टी की खरीद-बिक्री करने एवं रजिस्ट्रेशन व रजिस्ट्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। यह सुपर मार्केट उत्कर्ष स्फटिक लिमिटेड और Ambuja Nootia के द्वारा बनाई जा रही है।
उक्त 7.5 एकड़ जमीन का असली मालिक कौन है, उसकी लड़ाई पटना से लेकर दिल्ली तक के उच्च न्यायालयों में दर्जनों मुकदमा लंबित है। पटना उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण आदेश भी दिए हैं लेकिन उत्कर्ष स्फटिक लिमिटेड ने सत्ता में बैठे नेता और अधिकारियों के बल पर मॉल निर्माण का काम जारी रखा।
लंदन से आये दो विदेशी पटना में जमीन कैसे बेच सकते हैं..
आपको बता दें कि- जिस जमीन पर मॉल बन रही है। वो जमीन बैपटिस्ट चर्च ट्रस्ट एसोसियेशन (BCTA) की है। जिसे मिशनरी माफिया और गैर ईसाई के द्वारा 2008 में लंदन से आए दो विदेशी David James Lacke और Jonathan Gil ने असित घोष एजेंट के माध्यम से उत्कर्ष स्फटिक लिमिटेड के निदेशक सदय कृष्ण कनोरिया के हाथों बेच दिया और बिहार सरकार तमाशा देखते रह गई।
सुशील मोदी के शासन काल मे सरकारी राजस्व की चोरी..
पटना के लोदीपुर स्थित परिसर में सौ वर्ष पुराना एंगस शिक्षण संस्थान (Bed कॉलेज) चल रही थी। मिशन माफिया ने फेरा-फेमा अधिनियम का उल्लंघन करते हुए 2008 में उत्कर्ष स्फटिक लिमिटेड (जयपुर में निबंधित कंपनी) को महज पांच करोड़ में बेच डाला। जबकि उस वक़्त की सर्किल रेट के हिसाब से जमीन की कीमत 24.86 करोड़ थी। खुलमखुल्ला सरकारी राजस्व की चोरी की गई वो भी उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सुशील मोदी के शासन काल मे।
बिहार सरकार के तत्कालीन राजस्व सचिव ने जताई थी चिंता..
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार सरकार के तत्कालीन प्रधान सचिव श्री सी० अशोकवर्धन ने लोदीपुर स्थित एंगस शिक्षण संस्थान परिसर के भू-अर्जन की अधियाचना मानव संसाधन विभाग की ओर से किए जाने के संबंध में, प्रधान सचिव, मानव संसाधन विकास विभाग, बिहार, पटना को पत्र लिखा था।
उन्होंने पत्र में लिखा था कि एंगस शिक्षण संस्थान की भूमि पटना के केंद्र में स्थित है तथा इसकी सार्वजनिक उपादेयता निःसंदिग्ध है। निहित स्वार्थी से इसे बचाना भी परमावश्यक है। एंगस शिक्षण संस्थान लोदीपुर, पटना का एक बहुत पुराना एवं प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान रहा है। यह समीचीन प्रतीत होता है कि एक शैक्षणिक प्रतिष्ठान के रूप में इसकी गरिमा अक्षुण्ण रहे।
उन्होंने विद्वान महाधिवक्ता से उस वक़्त मंतव्य भी प्राप्त किया था। उक्त मंतव्य में महाधिवक्ता ने दो विकल्प दिए थे :- (क) सरकार विचारगत भूमि को अर्जित करने पर विचार करे या (ख) निहित स्वार्थों से इस बहुमूल्य भूखण्ड को बचाने के लिए या स्थिति का साधारण सुनिश्चित करें चूँकि उपर्युक्त संस्थान शैक्षणिक है, अतः अनुरोध है कि इसके अर्जन की दिशा में अपने स्तर से निधि की व्यवस्था करते हुए जिला पदाधिकारी पटना को यथाशीघ्र अधियाचना प्रेषित करने की आग्रह किया था लेकिन अफसोस- तत्कालीन राजस्व विभाग के प्रधान सचिव के अनुशंसा के आलोक में जिला प्रशासन पटना एवं मानव संसाधन विकास विभाग पटना ने दस वर्ष तक कोई कार्यवाही नही किया।
पुलिस के सहयोग से मिशन माफिया और बिल्डर ने दर्जनों इसाई परिवार के साथ की दादागिरी..
मिशनरी माफियाओं ने पटना में चर्च की जमीन का अबैध बिक्री और एग्रीमेंट करना 1989 से ही शुरू कर दिया था। 1995 में पटना स्थित बाकरगंज प्रासंगिक भूमि (प्लाट संख्या 886 एवं 261) पर ए.बी.एम. डेवलेपर्स के साथ अवैध डेवलपमेंट एग्रीमेंट किया गया। जिसे काउज ऑफ एक्शन दर्शाते हुए बेपटिस्ट यूनियन ऑफ नॉर्थ इंडिया ने सिविल सूट नंबर 416/1996 दिल्ली हाईकोर्ट में दायर किया जिसमें अदालत ने उत्तर भारत के 21 बैपटिस्ट परिसंपत्तियों की बिक्री, लीज, एग्रीमेंट और एलिनियेशन पर रोक लगा दी।
ए.बी.एम डेवलेपर्स बिल्डर ने भी तथ्य छिपाकर निचली अदालत से दखलदहानी का आदेश प्राप्त कर लिया। रजिस्ट्रार कम्पनी की जांच रिपोर्ट पर अमल करने के बदले प्रशासन ने बिल्डर को भारी पुलिसबल भी मुहैया कर दिया। पटना हाईकोर्ट के उक्त आदेश और सूट नं. 416/96 में दिल्ली हाईकोर्ट के स्थगन आदेश को तरजीह नहीं देकर सिविल कोर्ट पटना के दखलदहानी आदेश के सामने प्रशासन नतमस्तक रहा। सिविल कोर्ट के स्टेटस को आदेश को भी नहीं माना गया। दखलदहानी कराने आए तत्कालीन डीएसपी कैलाश प्रसाद तो दूसरे पक्ष से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने सपाट उत्तर दिया कि दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश बिहार में मान्य नहीं है। ऐसा लिखित मांगने पर बिदक कर वे चर्च कंपाउंड में रह रहे ईसाईयों को धमकाने लगे थे।
कंपनी रजिस्टर की जांच रिपोर्ट पर 9 सालों से कुंडली मारकर बैठा है, बिहार सरकार..
पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर कंपनी रजिस्ट्रार (उ. क्षेत्र) ने पूरे मामले का जांच किया और पत्रांक ROC/24261 दिनांक 15/01/2013 के द्वारा जांच रिपोर्ट मुख्य सचिव, बिहार सरकार पटना (प्रतिलिपी जिला अधिकारी, पटना) को समुचित कार्यवाई के लिए भेजा। आश्चर्य है कि उक्त जांच रिपोर्ट पर आजतक समुचित कार्यवाही नही की गई। इसके उलट बी.सी.टी.ए से अवैध-अनधिकृत मिशन भूमि माफिया, बिल्डर, प्रशासन व पटना पुलिस के गठजोड़ से बाकरगंज स्तिथ मिशन चर्च परिसर में बसे डेढ़ दर्जन ईसाई परिवार को उनके घर से 19 दिसम्बर 2015 को बेदखल कर दिया गया।
ईसाई नेता व वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र कमल पर भूमि माफियाओं ने चलवा दी थी गोली..
इस कुकृत्य का विरोध करने वाले लोगों का नेतृत्व करने वाले 75 वर्षीय समाजसेवी पत्रकार स्व० राजेंद्र कमल पर 2010 में दिनदहाड़े गोलियां चलवाई गईं थी। वे बुरी तरह जख्मी हुए थे बड़ी मुश्किल से उनकी जान बची थी। राजनेताओं के दबाव पर इस गोलीकांड की भी पुलिस ने लीपापोती कर दी गई।
बबलू प्रकाश
प्रदेश प्रवक्ता, आम आदमी पार्टी, बिहार